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त्रिफला को आंवला, काली हरड़ और बहेड़ा को समान मात्रा में मिलाकर बनाया जाता है। तीनों जड़ी-बूटियों से बने इस मिश्रण को अनेक स्वास्थ्य रोगों का इलाज करने वाली एक औषधि के रूप में जाना जाता है।
1. त्रिफला में कई ऐसे सक्रिय तत्व पाए जाते हैं, जो पेट में जाकर पाचन क्रिया को उत्तेजित कर देते हैं। शरीर की इम्युनिटी बढ़ने में सहायक है नियमित रूप से त्रिफला का सेवन करने से कब्ज, जी मिचलाना, उल्टी और खट्टी डकार जैसी समस्याएं ठीक हो जाती हैं। कब्ज (पुराना व सदा रहने वाला), कब्ज बनने की प्रक्रिया
• नई, पुरानी एसिडिटि, खट्टी डकार, जलन भूख कम लगना, अफारा, जलन, अल्सर बाल झड़ना, असमय सफेद होना, पेट का बढ़ना, पेट का फूलना, पेट दर्द पेट में गैस बनना व गैस से हुई घबराहट, सिर चकराना, सिर दर्द, आँतो की खुश्की जीगर, मेदा, तिल्ली, आँत और शरीर के सभी अंगों की सूजन व कमजोरी, लीवर की कमजोरी, खून की कमी, बवासीर डायबिटीज (नई व पुरानी शुगर), मोटापा अनियंत्रित ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रोल की अधिकता आँखों से धुंधला नजर आना, नींद की कमी, जोड़ों, कमर, मांसपेशी व हाथ पैरों का दर्द, शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी खाज, खुजली, फोड़े, फुन्सी, एक्जिमा, तम्बाकु (खैनी, सिगरेट, गुटखा) के प्रयोग से शरीर पर हुआ दुष्प्रभाव, फ्रिरेडिकल के बढ़ने को रोकने में लाभकारी
2. त्रिफला में तीन अलग-अलग जड़ी-बूटियों के गुण होते हैं त्रिफला में मौजूद आंवला और हरड़ में बढ़े हुए रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के गुण पाए जाते हैं। त्रिफला में गैलिक एसिड भी पाया जाता है, जो इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसी स्थितियों की गंभीरता को कम करने में मदद करता है।
3. त्रिफला में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा संबंधी कई बीमारियों का इलाज करने में मदद करते हैं।
4. गठिया के लक्षणों को कम करने के लिए, त्रिफला में अनेक प्रकार के सूजन व लालिमा रोधी गुण पाए जाते हैं, जो शरीर की अंदरूनी व बाहरी दोनों प्रकार की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। जिन लोगों को गठिया, गाउट या सूजन संबंधी अन्य कोई समस्या है उनके लिए त्रिफला का सेवन काफी लाभदायक होता है।
सेवन विधि – 25 - 25 मिली सुबह व् शाम एक गिलास पानी के साथ सेवन करें अधिक जानकारी के लिए कंपनी के नंबर पर कॉल करके कंसल्टेंट/डॉक्टर से सलाह ले। व् रोजाना सैर करें, पानी अधिक पीना चाहिए, व्यायाम करना चाहिए